होलाष्टक 7 मार्च से, मांगलिक कार्यों पर रहेगी रोक
होली से पहले 8 दिन और शीतला सप्तमी तक 7 दिन, कुल 15 दिन शुभ कार्य वर्जित
सिरोही। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से प्रारंभ होने वाले होलाष्टक और होली के बाद माताजी के अगता के कारण इस वर्ष 07 मार्च 2025 से 21 मार्च 2025 तक कुल 15 दिन तक विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण जैसे शुभ कार्यों पर रोक रहेगी।
ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ आचार्य प्रदीप दवे के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल अष्टमी (07 मार्च) से फाल्गुन पूर्णिमा (14 मार्च) तक आठ दिन "होलाष्टक" रहेगा, जिसके दौरान आकाशीय ग्रहों की स्थिति नकारात्मक मानी जाती है। इसके बाद फाल्गुन शुक्ल प्रतिपदा (15 मार्च) से शीतला सप्तमी (21 मार्च) तक "माताजी का अगता" रहेगा, जिसमें धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शीतला माता और ओरी माता की उपासना की जाती है।
होलाष्टक: शुभ कार्यों पर रोक का कारण
होली से पूर्व आठ दिनों को "होलाष्टक" कहा जाता है। इस अवधि में ग्रहों की स्थिति कमजोर और नकारात्मक प्रभाव वाली होती है, जिससे इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, नए कार्यों की शुरुआत आदि को अशुभ माना जाता है।
माताजी का अगता: चेचक से बचाव की प्राचीन परंपरा
स्थानीय मान्यता के अनुसार "अगता" का अर्थ उपासना होता है। पहले के समय में चेचक जैसी बीमारियों से बचने के लिए शीतला माता और ओरी माता की आराधना की जाती थी। इसी कारण होली के बाद 7 दिन तक सभी शुभ कार्यों पर रोक होती है और ठंडे भोजन का सेवन कर माता की कृपा प्राप्त करने की परंपरा है।
मौज-मस्ती के लिए अनुकूल समय
हालांकि, इस अवधि में धार्मिक कार्यों पर रोक होती है, लेकिन होली के उल्लास, फाग गीत, चंग वादन, ढूंढ, गेर नृत्य, हास-परिहास और मेल-मिलाप को प्रोत्साहित किया जाता है। इस समय को मानसिक तनाव दूर करने और सामाजिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर माना जाता है।
शुभ कार्यों की योजना बनाने वालों के लिए महत्वपूर्ण सूचना
जो लोग विवाह, गृह प्रवेश या अन्य शुभ कार्यों की योजना बना रहे हैं, उन्हें 07 मार्च से 21 मार्च के बीच कोई भी मांगलिक कार्य न करने की सलाह दी जाती है। इसके बाद शुभ मुहूर्त देखकर कार्यों की योजना बनाई जा सकती है।
- आचार्य प्रदीप कुमार दवे, ज्योतिष एवं वास्तुविद्, सिरोही (राज.)
(संपर्क: 96806-58570)