खंडेलवाल समाज का सामूहिक विवाह समारोह हर्षोल्लास से संपन्न, चार जोड़ों ने लिए परिणय-संस्कार

खंडेलवाल समाज का सामूहिक विवाह समारोह हर्षोल्लास से संपन्न, चार जोड़ों ने लिए परिणय-संस्कार

सिरोही। अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर खंडेलवाल वैश्य समाज महासंघ द्वारा आयोजित 11वां सामूहिक विवाह समारोह बुधवार को धार्मिक उल्लास और सामाजिक समरसता के साथ संपन्न हुआ। सिरोही मुख्यालय स्थित खंडेलवाल छात्रावास प्रांगण में आयोजित इस आयोजन में चार नवयुगल जोड़ों ने वैदिक मंत्रों के साथ सात फेरे लेकर नवजीवन की शुरुआत की।

महासंघ अध्यक्ष भगवती प्रसाद नाटाणी, पदाधिकारीगण, परगनाध्यक्ष, भामाशाहों सहित हजारों समाजबंधुओं की उपस्थिति में नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दिया गया। परिवारजनों और समाज के लोगों ने भावभीनी विदाई के साथ उनके मंगलमय जीवन की कामना की।

पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ सम्पन्न हुआ आयोजन

समारोह की शुरुआत मंगलवार शाम सामूहिक बंदोली से हुई, जो छात्रावास से ठाकुरजी चारभुजा मंदिर तक निकाली गई। विवाह की सभी रस्में—सामेला, मिलनी, तोरण, फेरे, ब्यावला और विदाई—वैदिक विधि-विधान के साथ सम्पन्न हुईं।

फेरे लेने वाले जोड़े

1. कोमल कुमारी मदनलाल नाटाणी (सुमेरपुर) संग संदीप कुमार चुन्नीलाल कायथवाल (बेड़ा)


2. विजयाकुमारी चिरंजीलाल खुटेटा (बालोतरा) संग विक्रम कुमार धनराज कूलवाल (वराडा)


3. दिव्या कुमारी नेमीचंद खुटेटा (आहोर) संग ज्योतिष कुमार रमेश कुमार रावत (बालोतरा)


4. डिंपल रमेश कुमार रावत (बालोतरा) संग दिलीप कुमार नेमीचंद खुटेटा (आहोर)



सहयोग और व्यवस्थाएं

समारोह के सफल आयोजन में समाज के अनेक भामाशाहों और स्वयंसेवकों का सहयोग रहा। भोजन व्यवस्था ‘भाई-भाई ग्रुप’ द्वारा की गई, वहीं नाश्ते की जिम्मेदारी गोपाल व रमेश कुमार रावत ने निभाई। बारात का स्वागत नेमीचंद आहोर ने किया। जल व्यवस्था खंडेलवाल महिला मंडल शिवगंज ने संभाली।

पत्रिका, मंडप, सजावट व अन्य व्यवस्थाओं में कांतिलाल कायथवाल, मोहनलाल खुटेटा, अनराज कायथवाल, चुन्नीलाल कायथवाल समेत अनेक समाजसेवियों ने भाग लिया। आयोजन में उपाध्यक्ष कैलाश नाटाणी, रतन खुटेटा, दिनेश खुटेटा, दिलीप कायथवाल, अरविंद खुटेटा, सुरेश खुटेटा सहित अनेक समाजबंधुओं ने सक्रिय योगदान दिया।

समाज की एकजुटता और सेवा भावना का प्रतीक

यह सामूहिक विवाह न केवल वैवाहिक संस्कारों का उत्सव रहा, बल्कि समाज की एकजुटता, सहयोग और संस्कारों की सजीव मिसाल भी बना। आयोजन में सभी आयु वर्ग के लोगों की भागीदारी ने इसे खास बना दिया।


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