राजस्थान सहकारी क्षेत्र में बड़ा सुधार: अब 30 दिन में होगा पंजीकरण, ऋण केवल सदस्यों को
जयपुर। राज्य सरकार ने सहकारी संस्थाओं की कार्यप्रणाली को अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और समयबद्ध बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 में व्यापक संशोधन करते हुए राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2025 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है।
मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा, सहकारिता मंत्री गौतम कुमार दक और विभाग की प्रमुख सचिव मंजू राजपाल सहित उच्च अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में नए अधिनियम के प्रारूप का विस्तृत प्रजेंटेशन दिया गया।
मुख्य प्रस्ताव और बदलाव:
पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाया गया: अब सहकारी समितियों का पंजीकरण 60 दिन की बजाय 30 दिन में पूरा होगा।
केवल सदस्यों को ही मिलेगा ऋण: अब सहकारी संस्थाएं केवल अपने सदस्यों और सदस्य संस्थाओं को ही ऋण प्रदान कर सकेंगी।
डिजिटल गवर्नेंस और पारदर्शिता: समितियों के चुनाव, ऑडिट और निर्णय प्रक्रिया में डिजिटल तकनीक का उपयोग कर पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी।
सदस्यता से इनकार नहीं: कोई भी सोसायटी किसी योग्य व्यक्ति को बिना पर्याप्त कारण सदस्यता से इनकार नहीं कर सकेगी।
मुख्यमंत्री शर्मा ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि नया सहकारिता कोड जनहितैषी और व्यावहारिक हो। उन्होंने ग्राम सेवा सहकारी समितियों के कम्प्यूटरीकरण और गांवों में "सहकारिता मित्र" नियुक्त करने का सुझाव भी दिया, ताकि स्थानीय स्तर पर फीडबैक लेकर नीति निर्माण को मजबूत किया जा सके।
भौगोलिक दायरे से बाहर भी कर सकेंगी व्यापार:
नई व्यवस्था के तहत समितियां अब अपने उत्पादों की बिक्री के लिए कार्यक्षेत्र से बाहर आउटलेट्स और दुकानें स्थापित कर सकेंगी। इससे सदस्यों को अधिक बाज़ार उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय तुलना और अध्ययन:
ड्राफ्ट तैयार करने से पहले मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, केरल और कर्नाटक के सहकारिता अधिनियमों का अध्ययन किया गया है, जिससे राजस्थान का अधिनियम अधिक समसामयिक और प्रभावी बन सके।
राजस्थान सरकार का यह कदम राज्य में सहकारिता आंदोलन को एक नई दिशा देने की क्षमता रखता है। इससे न केवल समितियों की कार्यक्षमता बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।