आमलकी एकादशी व्रत 2025: शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी या रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह पावन व्रत 10 मार्च 2025, सोमवार को रखा जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने से विष्णु जी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
आमलकी एकादशी का महत्व
आमलकी एकादशी का वर्णन पद्म पुराण में मिलता है, जिसमें बताया गया है कि आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है। इस दिन आंवले का उबटन, आंवले के जल से स्नान, आंवले का भोजन और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
एकादशी पारणा मुहूर्त
- 11 मार्च 2025, मंगलवार
- सुबह 06:36 बजे से 09:00 बजे तक
व्रत और पूजन विधि
- स्नान व संकल्प: प्रातः स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें।
- भोग व प्रसाद: इस दिन अन्न का सेवन वर्जित होता है, फल, दूध आदि ग्रहण कर सकते हैं।
- पाठ और भजन: विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीरामचरितमानस, गीता पाठ और हरि कथा श्रवण का विशेष महत्व है।
- आंवला पूजन: यदि आंवले का वृक्ष उपलब्ध हो तो उसकी पूजा करें, अन्यथा आंवले के फल को विष्णु भगवान को अर्पित करें।
- पारण: द्वादशी तिथि को सात्विक भोजन बनाकर भगवान विष्णु को अर्पित करें और दान-पुण्य करने के बाद व्रत का पारण करें।
आयुर्वेद और स्वास्थ्य में आंवले का महत्व
आयुर्वेद में आंवले को अमृत तुल्य माना गया है। यह शरीर को रोगों से बचाने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और मानसिक शांति प्रदान करने में सहायक है।
आध्यात्मिक लाभ
आमलकी एकादशी का व्रत रखने से समस्त पापों का नाश होता है, मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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