सांसद लुम्बाराम चौधरी ने गौ संरक्षण व दुग्ध उत्पादकों के हित में तीन महत्वपूर्ण विधेयक लोकसभा में किए पेशस्वदेशी गौ–गौसंतति संरक्षण बोर्ड, चारा भंडारण बोर्ड और दुग्ध उत्पादक लाभकारी मूल्य विधेयक शामिल

सांसद लुम्बाराम चौधरी ने गौ संरक्षण व दुग्ध उत्पादकों के हित में तीन महत्वपूर्ण विधेयक लोकसभा में किए पेश
स्वदेशी गौ–गौसंतति संरक्षण बोर्ड, चारा भंडारण बोर्ड और दुग्ध उत्पादक लाभकारी मूल्य विधेयक शामिल

दिल्ली/सिरोही, 8 दिसम्बर।
जालोर–सिरोही सांसद लुम्बाराम चौधरी ने शुक्रवार को लोकसभा में ग्रामीण भारत, पशुपालकों और दुग्ध उत्पादकों के हित से जुड़े तीन प्राइवेट मेंबर बिल पेश कर राष्ट्रीय स्तर पर नई बहस छेड़ दी है। इनमें—
1. स्वदेशी गौ एवं गौ–संतति संरक्षण बोर्ड 2024
2. चारा भंडारण बोर्ड 2025
3. दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद लाभकारी मूल्य 2025
जैसे महत्वपूर्ण विधेयक शामिल हैं।

देसी गायों की घटती संख्या पर चिंता

सांसद चौधरी ने सदन में कहा कि ग्रामीण भारतीय परिवारों की पहचान रही देसी गायें तेजी से संकट में हैं। अनुमान बताते हैं कि यदि हालात नहीं सुधरे तो आने वाले दस वर्षों में भारतीय देसी गाय आम जीवन से लगभग गायब हो सकती है।
उन्होंने कहा कि साहीवाल जैसी उच्च गुणवत्ता वाली देसी नस्लें सदियों से भारत की कृषि, अर्थव्यवस्था, पोषण और आयुर्वेद की आधारशिला रही हैं। देसी गौदुग्ध में पाया जाने वाला A-2 प्रोटीन कैंसररोधी माना गया है, वहीं गोमूत्र और गोबर का उपयोग औषधि और जैविक खेती में अत्यंत उपयोगी बताया गया।

दूध उत्पादकों को उचित मूल्य न मिलना बड़ी समस्या

सांसद चौधरी ने बताया कि भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, लेकिन किसानों तक इसका लाभ नहीं पहुंच पाता।
शहरों में जहां दूध की कीमत 70–80 रुपये प्रति लीटर है, वहीं उत्पादकों को मात्र 30–40 रुपये ही मिलते हैं।
दूध उत्पादन का बड़ा हिस्सा चारे, दवाइयों और रखरखाव में खर्च हो जाता है। वहीं अधिक उत्पादन के समय सहकारी समितियाँ किसानों से दूध उठाने से भी मना कर देती हैं।

चारा संकट ने डेयरी व्यवसाय को दिया बड़ा झटका

प्राकृतिक आपदाओं, चारागाहों की कमी और पशुधन के लिए बढ़ते खर्चों ने छोटे–मझोले पशुपालकों को डेयरी व्यवसाय छोड़ने पर मजबूर कर दिया है।
अकाल, सूखा और बाढ़ के समय चारा और पानी की भारी कमी से पशुधन बचाना कठिन हो जाता है।
चौधरी ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में चारा और पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर चारा बैंक प्रणाली का होना बेहद आवश्यक है।

ग्रामीण रोजगार और किसानों की आय से जुड़ा है देश का दुग्ध क्षेत्र

देश के करीब 7 करोड़ ग्रामीण परिवार दुग्ध व्यवसाय पर निर्भर हैं। छोटे किसान और भूमिहीन परिवारों के लिए यह आय का प्रमुख साधन है। महिलाओं की इसमें निर्णायक भूमिका है।
रिपोर्टों के अनुसार, जिन क्षेत्रों में नियमित दुग्ध व्यवसाय है, वहां किसानों की आत्महत्या के मामले भी कम देखे गए हैं।

बिल का उद्देश्य

इन विधेयकों के माध्यम से—
✔ देसी गौवंश का संरक्षण
✔ चारा उत्पादन व भंडारण की राष्ट्रीय नीति
✔ प्राकृतिक आपदा के समय चारा–पानी उपलब्ध करवाना
✔ दूध उत्पादकों को लाभकारी व न्यायसंगत मूल्य दिलाना
✔ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना
जैसे महत्वपूर्ण उद्देश्यों को साधा गया है।

सांसद चौधरी के इन प्रयासों को ग्रामीण भारत, पशुपालकों और किसान समुदाय की बड़ी उम्मीदों से जोड़कर देखा जा रहा है।


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